Dhadak 2 Movie Review: ‘धड़क 2’ की कहानी नीलेश नाम के एक लड़के की है जो दलित समाज से आता है। जन्म से ही भेदभाव और तानों का सामना करता रहा है। मेहनती है, हुनरमंद है, लेकिन समाज उसकी पहचान को ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी मान बैठा है। इसी बीच उसकी जिंदगी में आती है विदिशा — एक तेज़तर्रार लड़की जो उसे इंसान होने का एहसास दिलाती है।
मगर जात-पात की दीवारें इतनी मजबूत हैं कि प्यार भी इनके सामने कमजोर पड़ जाता है। विदिशा का चचेरा भाई रॉनी, जो ब्राह्मण है, इस रिश्ते को मंज़ूर नहीं करता। अपने पिता के साथ मिलकर वह नीलेश को खत्म करने की साजिश रचता है।
क्या खास है फिल्म में?
फिल्म का मुद्दा बेहद संवेदनशील है। ऐसी कहानियां अब ज़्यादा बननी चाहिएं, क्योंकि आज भी समाज में ये सच्चाइयां जिंदा हैं। लेकिन अफसोस, कहानी उतनी पकड़ नहीं बना पाती जितनी उम्मीद थी। फिल्म का पहला हिस्सा काफी धीमा है। कहानी भटकती है। रोमांस पर कम और जातिगत संघर्ष पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
एक्टिंग कैसी है?
सिद्धांत चतुर्वेदी फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी हैं। उन्होंने नीलेश का दर्द और गुस्सा दोनों को बखूबी निभाया है। तृप्ति डिमरी अच्छी लगीं लेकिन उनका किरदार अधूरा लिखा गया लगता है। सपोर्टिंग कास्ट में सौरभ सचदेवा का रोल डर पैदा करता है। विपिन शर्मा और जाकिर हुसैन जैसे सीनियर कलाकार अपने छोटे रोल में भी असर छोड़ते हैं।
देखें या नहीं?
अगर आपको समाज से जुड़े मुद्दों पर बनी फिल्में पसंद हैं और आप सिद्धांत की एक्टिंग के फैन हैं, तो एक बार ये फिल्म देख सकते हैं। लेकिन अगर आप ‘धड़क 1’ जैसे रोमांस और इमोशन की तलाश में हैं, तो ये फिल्म आपको अधूरी लगेगी।
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